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जैविक खेती : विज्ञान और परंपरागत पद्धति में करियर


जैविक पद्धति में रासायनिक उर्वरकों, रासायनिक कीटनाशकों तथा खरपतवार नाशकों की अपेक्षा गोबर की खाद, कम्पोस्ट, हरी खाद, बैक्टीरिया कल्चर, जैविक कीटनाशकों जैसे साधनों से खेती की जाती है।.


जैविक खेती : विज्ञान और परंपरागत पद्धति में करियर



पिछले कुछ महिनो पहले 14 फरवरी, 2018 को विश्व के सबसे बड़े जैविक खेती (आर्गेंनिक फार्मिग) थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फॉर आर्गेंनिक एग्रीकल्चर मूवमेंट्स ( आईएफओएम ) तथा रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर आर्गेंनिक एग्रीकल्चर द्वारा संयुक्त रूप से जारी अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार जैविक खेती करने वाले उत्पादकों की सबसे अधिक संख्या भारत में है। भारत में 8 लाख 35 हजार से अधिक लोग जैविक खेती कर रहे है। दूसरे स्थान पर मेक्सिको है जहां 2 लाख 10 हजार लोग जैविक खेती कर रहे है।


जैविक खेती : विज्ञान और परंपरागत पद्धति में करियर
इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व में 57.8 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती की जा रही है। विश्व मे 178 देश जैविक खेती कर रहे है। जैविक उत्पादों का वैश्विक बाजार 89.7 बिलियन यूएस डॉलर को पार कर गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है। कि खेती का भविष्य जैविक खेती ही है।

उल्लेखनीय है कि भारत में सर्वप्रथम वर्ष 2001-02 में जैविक खेती को लेकर गंभीरता दिखाई गई और 42,000 हेक्टेयर क्षेत्र से जैविक खेती की शुरूआत हुई। वर्ष 2022 तक भारत में 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती किए जाने की संभावना विभिन्न रिपोर्टों में बताई गई है।

उल्लेखनीय है कि यूरोप, जापान तथा सं.रा. अमेरिका जैसे देशों में बच्चों में कैंसर के अधिक मामले सामने आने पर अब पांच साल तक के बच्चों के लिए जैविक खाद्य पदार्थ अनिवार्य कर दिए गए हैं। कुछ समय पहले तक हमारे देश में भी लोग रासायनिक खाद पर ही पूरी तरह से निर्भर थे। परंतु अब हमारे देश में भी स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते जैविक खेती के द्वारा तैयार उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। इसते चलते इस क्षेत्र में करियर की बेहद चमकीली संभावनाएं उत्पन्न हो गई है।


जैविक खेती : विज्ञान और परंपरागत पद्धति में करियर


गौरतलब है कि जैविक खेती वह सदाबहार कृषि पद्धति है, जो पर्यावरण की शुद्धता को बरकरार रखती है
जैविक खेती भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है। मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ाती है। इसमें रसायनों का उपयोग बिलकुल नहीं या नगण्य होता है और कम लागत में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होता है। जैविक पद्धति में रासायनिक उर्वरकों, रासायनिक कीटनाशकों तथा खरपतवार नाशकों की अपेक्षा गोबर की खाद, कम्पोस्ट, हरी खाद, बैक्टीरिया कल्चर, जैविक खाद, जैविक कीटनाशकों जैसे साधनों से खेती की जाती है।

उल्लेखनीय है कि मिट्टी में असंख्य जीव रहते है। जो एक- दूसरे के पूरक तो होते ही है, साथ ही पौधों के विकास के लिए पोषक तत्व भी उपलब्ध कराते है। भारत में पहले से ही गोबर की खाद, कम्पोस्ट, हरी खाद और जैविक खाद का प्रयोग विभिन्न फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है।


जैविक खेती : विज्ञान और परंपरागत पद्धति में करियर


जैविक खाद बनाने के लिए पौधों के अवशेष, गोबर, जानवरों का बचा हुआ चारा आदि सभी वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। जैविक खेती का मूल उद्देश्य तेजी से बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर मृदा संरक्षम की प्रक्रियाएं अपनाते हुए जैविक तरीकों से कीट तथा रोग पर नियंत्रण रखते हुए फसलों के उत्पादन को बढ़ाना है, ताकि लोगों को सुरक्षित तथा स्वास्थकारी कृषि उत्पाद उपलब्ध हो सकें और साथ ही कृषि प्रक्रियाओं में पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधनों की कम से कम क्षति हो।


भारत में पहले से ही गोबर की खाद, कम्पोस्ट, हरी खाद और जैविक खाद का प्रयोग विभिन्न फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है।......

जैविक खेती : विज्ञान और परंपरागत पद्धति में करियर जैविक खेती : विज्ञान और परंपरागत पद्धति में करियर Reviewed by YoGi on 5:08 PM Rating: 5

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