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भारत में सेवा क्रांति के मायने (India and the promise of service revolution)

 भारत में सेवा क्रांति के मायने (India and the promise of service revolution)

🌺 भारत में सेवा क्रांति के मायने (India and the promise of service revolution)

🎯 सवा क्षेत्र का विस्तार

🌼 सवाएँ विकासशील देशों के सकल घरेलू उत्पाद में भी व्यापक योगदान देती हैं।

🌸 युवा श्रमिक जो शहरों के लिये अपने गाँवों और खेतों को  छोड़ते हैं,  वे विनिर्माण की बजाय शहर के सेवा क्षेत्र की नौकरियों में तेज़ी से संलग्न हो रहे हैं।

🌺 चीन के विपरीत, भारत ने विनिर्माण की तुलना में सेवाओं में तेज़ी से वृद्धि के कारण इस क्षेत्र की वृद्धि का नेतृत्व किया गया है।   माल के व्यापार की तुलना में सेवाओं का व्यापार तेज़ी से बढ़ रहा है।

🌼 उल्लेखनीय है कि सेवाओं में श्रम उत्पादकता वृद्धि, उद्योगों से अधिक है और भारत में सेवाओं में उत्पादकता वृद्धि चीन के विनिर्माण क्षेत्रों में श्रम उत्पादकता वृद्धि से मेल खाती है।

🌸 चौथी औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप भूमंडलीकरण नए रूप में सामने आया है  जो विकास के दौर में देरी से शामिल होने वाले देशों को लाभान्वित कर रहा है।


🔲 उत्पन्न चुनौतियाँ एवं प्रबंधन

🌷 हालाँकि, तकनीकी परिवर्तनों ने चिंताओं को और भी बढ़ाया है। इसने हमारे समक्ष कई प्रश्न खड़े किये हैं यथा - क्या कौशल आधारित  तकनीकी परिवर्तन नौकरियों को कम करेगा  और क्या श्रमिकों तथा नौकरियों की गुणवत्ता में भी कमी होगी? परिणामतः तकनीकी पूरकता की कमी होगी।

🌲 इन चुनौतियों का प्रबंधन मानव पूंजीगत स्टॉक में अधिक निवेश तथा भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश के लिये बफर बनाने, असमानता, लिंग भेदभाव और मशीन लर्निंग आदि विषयों में शिक्षित करके, बेहतर तरीके से कर सकते हैं।

🌳 इसके अतिरिक्त चौथी क्रांति के लाभ को समझने और जोखिमों का प्रबंधन करने के लिये सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता होगी।


🔳 विकास एस्केलेटर के रूप में

🔴 फर्म-स्तरीय डेटा के विश्लेषण के मुताबिक प्रौद्योगिकी, विकसित और विकासशील  अर्थव्यवस्थाओं के बीच वैश्विक विकास अभिसरण को बढ़ावा देती है।

◾️ विकासशील देशों में उत्पादकता वृद्धि तकनीकी सीमा में मौजूद कंपनियों के लिये अपेक्षाकृत अच्छी रही है।

⚪️ डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ सतत, समावेशी और स्मार्ट विकास के नए रास्ते खोलती हैं।

⛔️ भारत द्वारा समय-पूर्व विऔद्योगीकीकरण (de-industrialization)  के डर को अच्छी तरह से प्रबंधित किया गया है  लेकिन किसी को भी इस उभरने वाले नए विकास एस्केलेटर को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिये।

🌺 दरअसल, सेवाएँ अब सबसे अधिक विकास और नौकरियों की रणनीति का एक सक्रिय घटक हैं। स्थानीय उद्योग संघ भी अब नीति तालिका में सेवाएँ प्रदान करते हैं।

🏵 विकास की दहलीज़ पर देर से आने के नाते, भारत को अपने भविष्य को आकार देने के लिये स्वर्णिम अवसर है  और वह नई औद्योगिक क्रांति के दौर में अधिक लाभ उठा सकता है, बशर्ते नीति निर्माण का केंद्रबिंदु जनसांख्यिकीय लाभांश और तकनीकी परिवर्तनों द्वारा उत्पन्न अवसरों को लक्षित करें।

🌸 भले ही भौतिक आधारभूत संरचना में निवेश विनिर्माण क्षेत्र के लिये अधिक मायने रखता है,   लेकिन नए बुनियादी ढाँचे के रूप में सेवाओं के साथ मानव बुनियादी ढाँचे/ मानव संसाधन में निवेश का महत्त्व भी बढ़ गया है।

🌸 उल्लेखनीय है कि यू.के. और अमेरिका में मानव पूंजी निवेश पहले ही भौतिक आधारभूत संरचना में निवेश को पार कर चुका है  और वहीं विश्व के विभिन्न क्षेत्रों यथा - अफ्रीका और दक्षिण एशिया में जहाँ विकास ने देरी से दस्तक दी है वहाँ तकनीकी परिवर्तन की तीव्र गति के कारण मानव पूंजीगत स्टॉक बहुत पीछे रह गया है।

🌻 इसके अतिरिक्त कार्यों के संदर्भ में कई और नौकरियों को पुनर्परिभाषित किया जाएगा और बड़ी संख्या में नई नौकरियाँ सृजित की जाएंगी जिनके लिये विभिन्न कौशल, तकनीकी जानकारियों, समस्या निवारण और महत्त्वपूर्ण ज्ञान कौशल, साथ ही सहयोग और सहानुभूति की आवश्यकता होगी।

🌺 विकास के दायरे में देरी से प्रवेश करने के कारण भारत उन सभी सुविधाओं से लाभान्वित होगा क्योंकि भारत दुनिया की सबसे युवा आबादी वाला देश है  जहाँ सीखने क्षमता और उत्सुकता अधिक है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 तक चीन और अमेरिका (37), पश्चिमी यूरोप (45) और जापान (49) की तुलना में भारत में औसत आयु केवल 28 होगी।

🌸 भारत की युवा आबादी कई माध्यमों से आर्थिक विकास में वृद्धि करेगी। इसमें पहला, मानव पूंजी स्टॉक चैनल है।  अगर मानव पूंजीगत स्टॉक में निवेश बढ़ाया जाता है तो भारत का जनसांख्यिकीय नया विकास चालक बन जाएगा।


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