संपादकीय
बचपन अबोध होता है। यह पूरी तरह आभिभावकों पर निर्भर करता है। और आवश्यकताएं भी कम होती है। जैसे-जैसे हम उम्रदराज होते चले जाते है। अर्थात युवावस्था में प्रवेश करते है। हमारी आवश्यकताएं बढ़ती चली जाती हैं। लेकिन हम फिर भी अपने अभिभावकों पर ही निर्भर रहते हैं। ऐसी निर्भरता को हमें जल्द से जल्द समाप्त कर देने चाहिए। क्योंकि इस प्रकार की निर्भरता अभिभावकों पर धीरे-धीरे बोझिल होने लगती हैं, जो कि किसी भी प्रकार से ठीक नहीं होती। दुनिया में ऐसे लोगों के सैकड़ो उदाहरण हैं, जो अपने जीवन को नियंत्रण में रखना पसंद करते हैं और
अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए किसी दूसरे पर निर्भर नहीं रहना चाहते। अधिकांशत: ऐसे लोग आत्मनिर्भर कहलाते हैं और वे खुद को ज्यादा खुश महसूस करते है। व्यक्ति का आत्मनिर्भर होना एक बहुत अच्छी खूबी है। प्रत्येक व्यक्ति आत्मनिर्भर बनने के लिए कुछ अलग करता है। लेकिन उन अलग तरीकों में कुछ समानताएं भी होती हैं जैसे-वह सबसे पहले स्वयं की वास्तविकता का आकलन करता है, वह स्वयं के बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहता है। और दूसरों की गलतियों से सीख लेता है। ये कुछ ऐसे घटक हैं, जो हमें आत्मनिर्भरता की तरफ ले जाते हैं।
बचपन अबोध होता है। यह पूरी तरह आभिभावकों पर निर्भर करता है। और आवश्यकताएं भी कम होती है। जैसे-जैसे हम उम्रदराज होते चले जाते है। अर्थात युवावस्था में प्रवेश करते है। हमारी आवश्यकताएं बढ़ती चली जाती हैं। लेकिन हम फिर भी अपने अभिभावकों पर ही निर्भर रहते हैं। ऐसी निर्भरता को हमें जल्द से जल्द समाप्त कर देने चाहिए। क्योंकि इस प्रकार की निर्भरता अभिभावकों पर धीरे-धीरे बोझिल होने लगती हैं, जो कि किसी भी प्रकार से ठीक नहीं होती। दुनिया में ऐसे लोगों के सैकड़ो उदाहरण हैं, जो अपने जीवन को नियंत्रण में रखना पसंद करते हैं और
Study Point संपादकीय
Reviewed by YoGi
on
2:09 PM
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