1.
राष्ट्रीय सम्मेलन
5 नवंबर, 2018 को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India-CCI) ने नई दिल्ली में 'सार्वजनिक खरीद और प्रतिस्पर्धा कानून पर राष्ट्रीय सम्मेलन' का आयोजन किया। इस आयोजन का उद्देश्य बढ़ती हुई प्रतिस्पर्द्धा के अनुरूप क्षमता संवर्द्धन और सार्वजनिक खरीद पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण हितधारकों तक पहुँच बनाना है।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कॉर्पोरेट मामले मंत्रालय के अधीन एक थिंक टैंक, कारपोरेट मामलों के भारतीय संस्थान (Indian Institute of Corporate Affairs-IICA) के सहयोग से किया जा रहा है।
यह राष्ट्रीय सम्मेलन, आयोग की एक अनूठी पहल है, जो विभिन्न हितधारकों को प्रतिस्पर्द्धा कानून और जनता से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर नीति निर्माताओं और उद्योग के बीच सक्रिय चर्चा में शामिल होने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के विभिन्न नीति निर्माता, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम, उद्योग, कानूनी और वित्त पेशेवर, कॉर्पोरेट वकील, शिक्षाविद और अन्य प्रासंगिक हितधारकों के प्रतिभागी शामिल हुए।
2.
ग्रीन बिल्डिंग (Green building)
हाल ही में भारत में हरित भवनों को बढ़ावा देने के लिये ऊर्जा और संसाधन संस्थान (Energy and Resources Institute - TERI) और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित गृह (Green Rating for Integrated Habitat Assessment-GRIHA) नामक एक गैर-लाभकारी सोसाइटी द्वारा एक मूल्यांकन प्रतिशत जारी किया गया है।
यह एक रेटिंग प्रणाली है जो कुछ खास राष्ट्रीय स्तर के स्वीकार्य मानकों पर इमारत के प्रदर्शन को आँकने में लोगों की सहायता करती है।
इस रेटिंग सिस्टम द्वारा प्रदत्त अनुमान के अनुसार, भारत की 2% से भी कम इमारतें ‘हरित भवन’ (green building) है। हालाँकि, इनकी संख्या में बढोत्तरी होने की प्रबल संभावनाएँ है क्योंकि अगले 20 वर्षों में देश का करीब 60 प्रतिशत आधारभूत ढाँचा ग्रीन बिल्डिंग के तहत तैयार होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण के लिये एक व्यावहारिक और जलवायु के प्रति सजग दृष्टिकोण है। ग्रीन बिल्डिंग यानी हरित भवन को पर्यावरण को ही ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है।
इनसे पर्यावरण को किसी तरह की क्षति नहीं पहुँचती है। इन भवनों के आस-पास बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाए जाते है ताकि तापमान को नियंत्रित किया जा सके।
3.
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस
संगोष्ठी में विपणन, वित्तीय प्रबंधन, नवाचार, टेली मेडिसिन और स्टार्टअप के विशेषज्ञ, नीति निर्माता, आयुर्वेद फार्मा तथा चिकित्सा उद्योग क्षेत्र के अनुभवी लोग प्रतिभागियों के साथ अपने अनुभव साझा करेंगे एवं उनका मार्गदर्शन करेंगे।
संगोष्ठी के दौरान होने वाली चर्चाओं के माध्यम से युवा उद्यमियों को आयुर्वेद क्षेत्र में कारेाबार की विभिन्न संभावनाओं, नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के तरीके तथा कारोबार शुरू करने के लिये सरकार द्वारा दी गई सुविधाओं की जानकारी दी जाएगी।
आयुर्वेद क्षेत्र के जाने-माने वैद्यों को इस दिन ‘राष्ट्रीय धनवंतरी आयुर्वेद पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा।
इस बार यह पुरस्कार आयुर्वेद के जानेमाने विशेषज्ञ वैद्य शिव कुमार मिश्रा, वैद्य माधव सिंह बघेल और इतूजी भवदासन नंबूदरी को दिया जाएगा।
तीसरे आयुर्वेद दिवस के अवसर पर 5 नवंबर को आयुष स्वास्थ्य प्रणाली का इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से रिकॉर्ड रखने के लिये आयुष-स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (ए-एचएमआईएस) के नाम से एक समर्पित सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन लॉन्च किया जाएगा।
गौरतलब है कि पहले आयुर्वेद दिवस का आयोजन 2016 में किया गया था।
इस आयुर्वेद दिवस के अवसर पर कई आयुर्वेद संस्थानों द्वारा देश के 100 से ज़्यादा प्रमुख शहरों में हाफ मैराथन का आयोजन किया जा रहा है।
4.
चीन में उइगरों पर संयुक्त राष्ट्र की चिंता
संयुक्त राष्ट्र में 6 नवम्बर 2018 को एक समीक्षा के दौरान चीन को मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। इस दौरान विभिन्न देशों ने उइगरों की सामूहिक हिरासत और नागरिक स्वतंत्रताओं के खिलाफ कार्रवाई पर चिंता जताई। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में आधे दिन की सार्वजनिक चर्चा के दौरान कई देशों ने उइगर मुस्लिमों और तिब्बतियों सहित जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ चीन के व्यवहार पर चिंता व्यक्त की गई।
चर्चा के दौरान करीब 500 लोगों ने संयुक्त राष्ट्र के बाहर प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों ने बैनर ले रखे थे जिन पर लिखा था, ‘चीन, उइगरों का नरसंहार रोको’ और ‘तिब्बत मर रहा है, चीन झूठ बोल रहा है।’
‘यूनीवर्सल पिरियोडिक रीव्यू’ में सभी 193 देशों को लगभग हर चार साल पर जाना होता है। संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र समिति द्वारा हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार, चीन में करीब 10 लाख उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को क्षेत्र में न्यायेत्तर हिरासत में रखा गया है।
इसे चर्चा के दौरान दोहराया गया। कार्यकर्ताओं का कहना है कि चीन के मुस्लिम अल्पसंख्यकों को बड़ी दाढ़ी रखने और हिजाब पहनने के लिए बिना वजह ही हिरासत में ले लिया जाता है
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Reviewed by YoGi
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