क्या है नेचुरोपैथी ?
नेचुरौपैथी एक जीवनशैली है, जिंदगी का सादगी भरा अंदाज है, जो शरीर को बीमारी की स्थिति से बचाता है। मगर इलाज भी इसके जरिए होते है। अगर व्यक्ति बीमार हो जाए, तो प्रकृति के पांच तत्वों की मदद भी ली जाती है।
महात्मा गांधी नेचुरोपैथी में बेहद यकीन रखते थे-उनका मानना था कि प्रकृति के माध्यम से इलाज इतना आसान और सस्ता है कि ज्यादा से ज्याता लोगों को इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
प्रकृति किसी के साथ धोखा नहीं करती। अगर हम उसकी शरण में जाए, तो वह हर संभव तरीके से मदद करती है। अगर बीमार पड़ भी जाए, तो किसी भी बीमारी, दर्द या जख्म का इलाज पांच तत्वों आकाश, हवा, पानी, अग्नि और धरती के माध्यम से किया जाता है। इसमें माना जाता है कि सभी बीमारियों का कारण लगभग एक ही होता है, वह है शरीर में विषैले तत्वों का जमाव, जो धीरे-धीरे किसी न किसी बीमारी का रूप ले लेता है। क्योंकि बीमारी का कारण एक ही है, शरीर में विजातीय और विषैले तत्व-इसलिए नेचुरोपैथी में इनका इलाज भी एक ही होता है। शरीर में विषैले तत्व कैसे जमा हो जाते हैं? हमारा शरीर विभिन्न कोशिकओं से बना है, जो निरंतर मृत होती रहती हैं और उनकी जगह नई कोशिकांए लेती रहती हैं। पुरानी मृत कोशिकाओं का शरीर से बाहर निकलना जरूरी होता है, यही नहीं जीवित कोशिकाएं भी ऐसे विषैले पदार्थ उत्पन्न करती हैं, जो हमें बीमारी की ओर ले जाते हैं।
अप्राकृतिक जीवनशैली के चलते भी शरीर में टॉक्सिन्स बनते हैं। अगर ये विषैले तत्व समय-समय पर शरीर से बाहर न निकले, तो शरीर में बीमारियां उत्पन्न होने लगती है।
नेचुरोपैथी का मानना है कि कीटाणु शरीर में तब उत्पन्न होते हैं, जब शरीर में विषैले तत्व ज्यादा जमा हो जाते हैं। अगर शरीर साफ रहे, तो कीटाणु उत्पन्न ही नहीं होगे और न कोई रोग होगा। एक स्वस्थ शरीर में, जहां नियमित सफाई होती रहती है, वहां कीटाणुओं को पनपने का मौका नहीं मिलता। कीटाणु बीमारी का परिणाम है, कारण नहीं। प्राकृतिक चिकित्सा में इस बात को पहचानकर ही इकाज किया जाता है। कीटाणुओं पर समय नष्ट करने से अच्छा है, शरीर की सफाई की जाए। प्राकृतिक चिकित्सा इसी प्रक्रिया में मदद करती है, ताकि खून साफ हो, शरीर की गांठे खत्म हों और कीटाणु न उपजें। मानसिक और शारीरिक व्यायाम से शरीर के विषैले तत्व दूर होते हैं, क्योंकि ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है, साथ ही रक्त संचालन भी तेज होता है।
सेहत नेचुरोपैथी से
Reviewed by YoGi
on
6:12 AM
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