🚗🚘 भयंकर 'ट्रैफिक जाम' को अब मिटाएगा जापान
वाहनों की बढ़ती संख्या ने भारत की सड़कों पर जाम की समस्या खड़ी कर दी है। इस जाम से समय के साथ अरबों रुपये की हर साल बर्बादी हो रही है। भारत के शहरों से जाम खत्म करने के लिए अब जापान आगे आया है। भारत के सिलिकॉन वैली कहे जाने वाले बेंगलुरु से इसकी शुरुआत होने जा रही है। जापान और बेंगलुरु के बीच हुए समझौते के तहत वह इंटेलीजेंट ट्रांसर्पोटेशन सिस्टम (आइटीएस) से भारत में ट्रैफिक जाम को खत्म करेगा। अगले साल मार्च में सिस्टम को लागू करने का काम शुरू हो जाएगा जो 2020 के मध्य तक चलेगा। इससे समस्या में 30 फीसद तक कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है।
शहर में जाम लगने वाले 12 मुख्य स्थानों पर 72 सेंसर लगाए जाएंगे। कहां, कितना जाम लगा है जानने के लिए सार्वजनिक बसों पर जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) सेट किए जाएंगे।
ये डिटेक्टर अल्ट्रासॉनिक तरंगों के जरिए हर एक मिनट में ट्रैफिक की स्थिति सीधे ट्रैफिक कंट्रोल सेंटर तक भेजेंगे जो हॉट स्पॉट के जरिए ट्रैफिक को अन्य मार्गों पर मोड़कर जाम हटाएगा।
1.13 करोड़ डॉलर की इस परियोजना में जापान की अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेशन एजेंसी (जेआइसीए) निवेश करेगी। ये सरकारी संस्था विकासशील देशों को आर्थिक मदद देती है।
जापान में आइटीएस तकनीक 1990 से इस्तेमाल की जा रही है। श्रीलंका और कंबोडिया भी इस तकनीक से ही जाम की परेशानी से निपट रहे हैं। युगांडा भी इस पर काम कर रहा है।
2017 में मॉस्को और रूस ने आइटीएस तकनीक से जाम की समस्या से 40 फीसद तक निजात पा ली है।
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में दुनिया की कुछ शीर्ष सॉफ्टवेयर कंपनियां मौजूद हैं। 1920 तक ये गार्डन सिटी के नाम से जाना जाता था।
पिछले तीन दशकों में टेक्नोलॉजी सेक्टर में आए उछाल ने शहर को टेक हब में बदल दिया और उसी दौरान यहां की जनसंख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई।
🌻अमेरिका ने कुछ प्रतिबंधों से भारत को छूट दी
अमेरिका ने ईरान में विकसित किए जा रहे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह और इसे अफगानिस्तान से जोड़ने वाली रेलवे लाइन के निर्माण के लिए भारत को कुछ प्रतिबंधों से छूट दे दी है। ट्रंप प्रशासन का यह फैसला दिखाता है कि ओमान की खाड़ी में विकसित किए जा रहे इस बंदरगाह में भारत की भूमिका को अमेरिका मान्यता देता है।
इसे इस तरह समझा जा सकता है कि कुछ दिन पहले ही ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाए और छूट देने में उसका रुख बेहद सख्त है।
यह बंदरगाह युद्ध ग्रस्त अफगानिस्तान के विकास के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विदेश मंत्रलय के एक प्रवक्ता ने प्रेट्र को बताया कि गहन विचार के बाद विदेश मंत्री ने 2012 के ईरान स्वतंत्रता एवं प्रसार रोधी अधिनियम के तहत लगाए गए कुछ प्रतिबंधों से छूट देने का प्रावधान किया है जो चाबहार बंदरगाह के विकास, उससे जुड़े एक रेलवे लाइन के निर्माण और बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान के इस्तेमाल वाली, प्रतिबंध से अलग रखी गई वस्तुओं के नौवहन से संबंधित है।
साथ ही यह ईरान के पेट्रोलियम उत्पादों के देश में निरंतर आयात से भी जुड़ा हुआ है।
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Reviewed by YoGi
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7:16 AM
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