जानिये CBI डायरेक्टर को नियुक्त करने और हटाने की क्या प्रक्रिया है?
🎧 कद्रीय जांच ब्यूरो या CBI, भारत में केंद्र सरकार की एक जाँच एजेंसी है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर होने वाले अपराधों जैसे हत्या, घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों और राष्ट्रीय हितों से संबंधित अपराधों की भारत सरकार की तरफ से जाँच करती है.
🎙 CBI एजेंसी की स्थापना की सिफारिस भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए गठित “संथानम समिति” की सिफारिस के आधार पर 1963 में गृह मंत्रालय के अंतर्गत की गयी थी लेकिन बाद में इसे कार्मिक मंत्रलाय के अंतर्गत स्थानांतरित कर दिया गया था. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.
🎤 जञातव्य है कि CBI कोई वैधानिक संस्था नहीं है. दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 ने CBI को जांच की शक्तियां दी हैं. भारत सरकार, राज्य सरकार की सहमति से राज्य में मामलों की जांच करने का आदेश CBI को देती है.
🎙 हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय; राज्य सरकार की सहमति के बिना देश के किसी भी राज्य में अपराधिक मामले की जांच के लिए CBI को आदेश दे सकते हैं.
🔲 FBI और CIA के बीच क्या अंतर है?
⚫️ वर्ष 2013 तक CBI की निम्नलिखित 7 शाखाएं थीं;
1. भ्रष्टाचार निरोधक शाखा
2. आर्थिक अपराध शाखा
3. विशेष अपराध शाखा
4. केन्द्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला
5. प्रशासनिक शाखा
6. नीतिगत एवं इंटरपोल सहयोग शाखा
7. अभियोग निदेशालय (Prosecuting directorate)
⚫️ CBI डायरेक्टर को कैसे चुना जाता है?
◼️ सीबीआई के डायरेक्टर को कैसे नियुक्त किया जाना है, इस बारे में लोकपाल एक्ट में प्रावधान हैं. इसी प्रावधान के तहत बनी कमेटी सीबीआई डायरेक्टर को चुनती है.
◾️ CBI डायरेक्टर को चुने जाने की प्रक्रिया इस प्रकार है;
1. CBI डायरेक्टर को चुने जाने की प्रक्रिया गृह मंत्रालय से शुरू होती है.
2. गृह मंत्रालय इस मामले में आईपीएस अधिकारियों की एक लिस्ट बनाता है. ये लिस्ट अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर तैयार की जाती है.
3. गृह मंत्रालय इस लिस्ट को 'कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग' को भेजता है. इसके बाद अनुभव, वरिष्ठता और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में अनुभव के आधार पर एक फाइनल लिस्ट बनाई जाती है.
4. सर्च कमेटी इन नामों पर चर्चा करती है और अपनी सिफ़ारिशों को सरकार को भेजती है.
5. इसके बाद सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति एक उच्च स्तरीय कमेटी करती है. इस कमेटी के सदस्य प्रधानमंत्री, चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होते हैं.
⚫️ लोकपाल एक्ट आने के बाद यही प्रक्रिया साल 2014 से लागू है. इससे पहले CBI डायरेक्टर को चुनने के लिए के लिए केंद्र सरकार द्वारा के समिति बनायीं जाती थी जिसका अध्यक्ष केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त होता था इसके अलावा इस समिति में कैबिनेट सचिवालय के सचिव और गृह मंत्रलाय के सचिव इसके सदस्य होते थे.
नोट 1: अगर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया कमेटी में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं तो वो सुप्रीम कोर्ट के किसी जज को अपनी जगह भेज सकते हैं.
नोट 2: अगर लोकसभा में विपक्ष का नेता नहीं है तो सदन में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का कोई सदस्य सर्च कमेटी की मीटिंग्स में हिस्सा लेता है.
CBI डायरेक्टर को कैसे हटाया जाता है?
🔴 साल 1997 से पहले सीबीआई डायरेक्टर को सरकार अपनी मर्जी से कभी भी हटा सकती थी. लेकिन साल 1997 में विनीत नारायण मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कार्यकाल कम से कम दो साल का कर दिया. ताकि डायरेक्टर मुक्त होकर अपना काम कर सके.
🔳 वकील प्रशांत भूषण कहते हैं, ''सीबीआई निदेशक को हटाने के लिए 'कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग' को हाई लेवल कमेटी के पास ही मामला ले जाना पड़ेगा. इसके लिए एक बैठक बुलाई जाएगी. ये बताया जाएगा कि ये आरोप हैं. आप बताइए कि इनको हटाना है या नहीं. ये फ़ैसला तीन सदस्यीय कमेटी ही करती है, जिसके सदस्य प्रधानमंत्री, चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया और नेता विपक्ष होते हैं.
🔳 इस प्रकार ऊपर दी गयी प्रक्रिया से यह स्पष्ट हो जाता है कि CBI डायरेक्टर की नियुक्ति बड़ी स्क्रूटिनी के बाद की जाती है ताकि इस प्रतिष्ठित पद पर सही व्यक्ति को ही तैनात किया जा सके।
जानिये CBI डायरेक्टर को नियुक्त करने और हटाने की क्या प्रक्रिया है?
Reviewed by YoGi
on
6:50 AM
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