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AI से नौकरियों की प्रकृति में बदलाव ( AI will transform India’s job scene)

AI से नौकरियों की प्रकृति में बदलाव

AI से नौकरियों की प्रकृति में बदलाव ( AI will transform India’s job scene)

हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के युग में रहते हैं जिसने हमें उन्नत प्रौद्योगिकी, भंडारण क्षमता और सूचनाओं तक पहुँच प्रदान की है। प्रौद्योगिकी के गुणोत्तर विकास के पहले चक्र में कताई-मशीन, दूसरे में बिजली और तीसरे चक्र के अंतर्गत औद्योगिक क्रांति में कंप्यूटर का विकास हुआ। वर्ष 2016 में विश्व आर्थिक मंच ने AI को ‘चौथी औद्योगिक क्रांति’ या उद्योग 4.0 कहा है। उद्योग 4.0 या चौथी औद्योगिक क्रांति विश्व भर में एक शक्तिशाली बल के रूप में उभर कर सामने आई है। इसके अंतर्गत अधिक डिजिटाइजेशन और उत्पादों, वैल्यू चेन, व्यापार के मॉडल को एक-दूसरे से अधिक-से-अधिक जोड़ने के परिकल्पना की गई है। इसने हमें डेटा स्वामित्त्व और श्रम संरक्षण जैसे नियामक चुनौतियाँ भी दी हैं और विशेष रूप से यह स्वचालन के आधार पर नौकरियों और मज़दूरी के स्तर को प्रभावित करता है।


चौथी औद्योगिक क्रांति या उद्योग 4.0

पहली औद्योगिक क्रांति पानी और भाप की शक्ति के कारण हुई, जिसने मानव श्रम को यांत्रिकी निर्माण में परिवर्तित किया।

दूसरी औद्योगिक क्रांति विद्युत शक्ति के कारण हुई जिसके कारण बड़े स्तर पर उत्पादन संभव हो सका। तीसरी औद्यगिकी क्रांति ने इलेक्ट्रोनिक और सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग द्वारा स्वचालित निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।

चौथी औद्योगिक क्रांति वर्तमान में जारी है और इसमें ऑटोमेशन तथा निर्माण प्रौद्योगिकी में आँकड़ों का आदान-प्रदान किया जा रहा है।

उद्योग 4.0 के अंतर्गत निर्माण में परंपरागत और आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर वास्तविक और आभासी विश्व का गठजोड़ किया जाएगा।


उद्योग 4.0 और श्रम

प्रौद्योगिकी और रोज़गार पर ऑक्सफोर्ड मार्टिन प्रोग्राम 2013 के एक अध्ययन से पता चलता है कि वर्ष 2000 से केवल 0.5 प्रतिशत नई नौकरियाँ सृजित हुईं जोकि पहले मौजूद नहीं थीं।

यह उन 173 मिलियन नौकरियों के खिलाफ है जो जी-7 देशों में अगले आठ वर्षों में स्वचालित हो जाएंगी, उल्लेखनीय है कि जी-7 देश दुनिया की सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हैं।

विश्व बैंक द्वारा विश्व विकास रिपोर्ट (2016) के अनुसार स्वचालन के परिणामस्वरूप श्रम अधिशेष विकासशील देशों जैसे - एशिया से श्रम घाटे वाले देशों यथा- लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में श्रम के पुनर्वितरण की उम्मीद की गई है।

ऐसा माना जा रहा है कि ‘मध्यम-कौशल’ वाली नौकरियाँ जिन्हें नियमित संज्ञानात्मक और मैन्युअल अनुप्रयोगों की आवश्यकता होती है, अगले कुछ वर्षों में स्वचालित हो जाएंगी।

भारत के वैश्विक आईटी क्षेत्र का 65 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार प्रौद्योगिकी का 40 प्रतिशत हिस्सा वर्ष 2030 तक 69 प्रतिशत औपचारिक रोज़गार से स्वचालित नौकरियों में बदल जाएगा।


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