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कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच मेकेदातु परियोजना विवाद

कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच मेकेदातु परियोजना विवाद

 कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच मेकेदातु परियोजना विवाद

 मकेदातु परियोजना (Mekedatu Project)

🎵 कर्नाटक सरकार द्वारा कावेरी नदी पर स्थापित की जा रही यह परियोजना तमिलनाडु के रामानगरम् ज़िले में मेकेदतु के पास है।

🎚 इस परियोजना की प्रस्तावित क्षमता 48 TMC (thousand million cubic feet) है। इसका प्राथमिक उद्देश्य बंगलूरू को पेयजल की आपूर्ति करना और इस क्षेत्र में भूजल पटल का पुनर्भरण (recharge) करना है।

🔔 तमिलनाडु बनाम कर्नाटक

तमिलनाडु ने मामले पर सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। तमिलनाडु का मुख्य तर्क यह है कि मेकेदातु परियोजना कावेरी नदी जल प्राधिकरण के अंतिम निर्णय का उल्लंघन करती है और दो जलाशयों के निर्माण के परिणामस्वरूप कृष्णाराज सागर और कबीनी जलाशयों में जलग्रहण के साथ-साथ कर्नाटक और तमिलनाडु की सामूहिक सीमा बिलिगुंडुलू में भी जल-प्रवाह प्रभावित होगा।

वहीँ कर्नाटक का कहना है कि यह परियोजना तमिलनाडु को निर्धारित मात्रा में पानी जारी करने के रास्ते में नहीं आएगी और न ही इसका इस्तेमाल सिंचाई उद्देश्यों के लिये किया जाएगा।

बांध पर हो रही राजनीति

वर्ष 2015 में तमिलनाडु में इस परियोजना के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसे राजनीतिक दलों, किसानों, परिवहन संघों, खुदरा विक्रेताओं और व्यापारियों द्वारा समर्थन प्राप्त हुआ था।

साथ ही तमिलनाडु की विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से आग्रह किया कि कर्नाटक को इस परियोजना के निर्माण करने से रोके।

आगे की राह

कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Cauvery Water Management Authority-CWMA) के विशेषज्ञों अनुसार, केंद्रीय जल आयोग (CWC) द्वारा इस परियोजना को मंज़ूरी मिलने के बाद भी इस प्रक्रिया के लिये CWMA से मंज़ूरी लेना अनिवार्य है।

प्राधिकरण के विशेषज्ञों के अनुसार, इस परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट का अध्ययन किया जाना अभी शेष है क्योंकि CWC का फैसला केवल तमिलनाडु सरकार द्वारा उठाई गई चिंताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission- CWC)

जल संसाधन के क्षेत्र में यह देश का एक प्रमुख तकनीकी संगठन है।

इस आयोग को बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, नौवहन, पेयजल आपूर्ति और जल विद्युत विकास के प्रयोजन हेतु समूचे देश के जल संसाधनों के नियंत्रण, संरक्षण और उपभोग संबंधी योजनाओं के लिये राज्य सरकारों के परामर्श से शुरू करने, समन्वित करने तथा आगे बढ़ाने का सामान्य उत्तरदायित्व सौंपा गया है।

इस आयोग का प्रमुख एक अध्यक्ष होता है जिसका पद भारत सरकार के पदेन सचिव के स्तर का होता है।

आयोग के तीन तकनीकी विंग हैं, जिसमें अभिकल्प एवं अनुसंधान, जल आयोजना एवं परियोजना तथा नदी प्रबंध विंग शामिल हैं।

इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Cauvery Water Management Authority-CWMA)

तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल एवं पुद्दुचेरी के बीच जल के बँटवारे संबंधी विवाद को निपटाने हेतु 1 जून, 2018 को केंद्र सरकार ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) का गठन किया।

इस प्राधिकरण के गठन का निर्देश सर्वोच्च न्यायालय ने 16 फरवरी, 2018 को दिया था। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, केंद्र सरकार को 6 सप्ताह के भीतर इस प्राधिकरण का गठन करना था।

प्राधिकरण की संरचना

इस प्राधिकरण में एक अध्यक्ष, 8 सदस्यों के अलावा एक सचिव शामिल है।

अध्यक्ष की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।

प्राधिकरण के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष या आयु के 65 वर्ष पूरे होने तक निर्धारित किया गया है।
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