भारत में पहले हम्बोल्ट पेंगुइन का जन्म हुआ
मुम्बई स्थित भायखला चिड़ियाघर में 15 अगस्त, 2018 को देश के पहले पेंगुइन का जन्म हुआ। हम्बोल्ट प्रजाति के इस पेंगुइन का जन्म वन्यजीव विशेषज्ञों की देखरेख में हुआ।
वर्ष 2017 में दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल से आठ हम्बेल्ट पेंगुइन को मुम्बई के भायखला चिड़ियाघर में लाया गया था। इनमें से 4,5 वर्ष की मादा हम्बोल्ट पेंगुइन फ्लीपर न् मोल्ट के साथ मिलकर 5 जुलाई, 2018 को एक अण्ड़ा दिया था, जिससे इस पेंगुइन का जन्म हुआ।
हम्बोल्ट पेंगुइन
➥ हम्बोल्ट पेंगुइन को पेरुवियन पेंगुइन भी कहा जाता है। यह दक्षिण अमेरिकी पेंगुइन है, जो चिली और पेरू के तटवर्ती क्षेत्रों में पाया जाता है।
➥ यह मध्यम आकार के पेंगुइन होते है, जिनका आकार 56 से 70 सेमी तथा वजन 3.6 से 5.9 किग्रा तक होता है।
➥जलवायु परिवर्तन के कारण इनकी गिनती तेजी से घट रही है। एक अनुमान के अनुसार, विश्व भर में इन पेंगुइन की जनसंख्या 10,000 तक रह गयी है।
➥ अमेरिका ने इन्हें वर्ष 2010 में लुप्तप्राय: प्रजाति अधिनियम के तहत अधिसूचित किया था।
आर्कटिक की बर्फ पिघलने से भारतीय मानसून प्रभावित होगा NCAOR
राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (NCAOR) के वैज्ञानिकों द्वारा 18 अगस्त 2018 को किये गये शोध के अनुसार, आर्कटिक की बर्फ के तेजी से पिघलने का भारतीय मानसून पर बुरा असर हो सका है।
शोधकरता मनीष तिवारी एंव विकास कुमार की अगुवाई में किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि इस क्षेत्र में वैश्विक आँकड़ो की तुलना में कही अधिक जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इसका प्रभाव भारतीय मानसून पर भी पड़ रह है।
अध्ययन के प्रमुख बिन्दु
➥ वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन के लिए पिछली दो शताब्दियों में आर्कटिक क्षेत्र में हुए ऊष्मा बदलावों को पुन: संगठित किया।
➥ वैज्ञानिकों के शोधानुसार, ध्रुवीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन वैश्विक औसत से दोगुना हो रहा है तथा पिछली दो शताब्दियों में जलवायु परिवर्तन द्वारा संचालित ग्लेशियर पिघलने में वृद्धि हुई है।
➥ वैज्ञानिकों ने ऑर्गेनिक कार्बन और अन्य पदार्थों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए आर्कटिक क्षेत्र की तलछटी का अध्ययन किया।
➥ आर्कटिक क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन में वर्ष 1840 के बाद से बर्फ पिघलना आरम्भ हुआ तथा इसमें वर्ष 1970 के बाद से सबसे अधिक तेजी देखी गई है।
मुम्बई स्थित भायखला चिड़ियाघर में 15 अगस्त, 2018 को देश के पहले पेंगुइन का जन्म हुआ। हम्बोल्ट प्रजाति के इस पेंगुइन का जन्म वन्यजीव विशेषज्ञों की देखरेख में हुआ।
वर्ष 2017 में दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल से आठ हम्बेल्ट पेंगुइन को मुम्बई के भायखला चिड़ियाघर में लाया गया था। इनमें से 4,5 वर्ष की मादा हम्बोल्ट पेंगुइन फ्लीपर न् मोल्ट के साथ मिलकर 5 जुलाई, 2018 को एक अण्ड़ा दिया था, जिससे इस पेंगुइन का जन्म हुआ।
हम्बोल्ट पेंगुइन
➥ हम्बोल्ट पेंगुइन को पेरुवियन पेंगुइन भी कहा जाता है। यह दक्षिण अमेरिकी पेंगुइन है, जो चिली और पेरू के तटवर्ती क्षेत्रों में पाया जाता है।
➥ यह मध्यम आकार के पेंगुइन होते है, जिनका आकार 56 से 70 सेमी तथा वजन 3.6 से 5.9 किग्रा तक होता है।
➥जलवायु परिवर्तन के कारण इनकी गिनती तेजी से घट रही है। एक अनुमान के अनुसार, विश्व भर में इन पेंगुइन की जनसंख्या 10,000 तक रह गयी है।
➥ अमेरिका ने इन्हें वर्ष 2010 में लुप्तप्राय: प्रजाति अधिनियम के तहत अधिसूचित किया था।
आर्कटिक की बर्फ पिघलने से भारतीय मानसून प्रभावित होगा NCAOR
राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (NCAOR) के वैज्ञानिकों द्वारा 18 अगस्त 2018 को किये गये शोध के अनुसार, आर्कटिक की बर्फ के तेजी से पिघलने का भारतीय मानसून पर बुरा असर हो सका है।
शोधकरता मनीष तिवारी एंव विकास कुमार की अगुवाई में किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि इस क्षेत्र में वैश्विक आँकड़ो की तुलना में कही अधिक जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इसका प्रभाव भारतीय मानसून पर भी पड़ रह है।
अध्ययन के प्रमुख बिन्दु
➥ वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन के लिए पिछली दो शताब्दियों में आर्कटिक क्षेत्र में हुए ऊष्मा बदलावों को पुन: संगठित किया।
➥ वैज्ञानिकों के शोधानुसार, ध्रुवीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन वैश्विक औसत से दोगुना हो रहा है तथा पिछली दो शताब्दियों में जलवायु परिवर्तन द्वारा संचालित ग्लेशियर पिघलने में वृद्धि हुई है।
➥ वैज्ञानिकों ने ऑर्गेनिक कार्बन और अन्य पदार्थों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए आर्कटिक क्षेत्र की तलछटी का अध्ययन किया।
➥ आर्कटिक क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन में वर्ष 1840 के बाद से बर्फ पिघलना आरम्भ हुआ तथा इसमें वर्ष 1970 के बाद से सबसे अधिक तेजी देखी गई है।
भारत में पैदा हुआ पहला पेंग्विन
Reviewed by YoGi
on
7:38 PM
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